यहां रामायण के बारे में कुछ दुर्लभ तथ्य हैं जो कई लोगों द्वारा ज्ञात नहीं हैं।
हम
में से अधिकांश लोगों को रामायण की कहानी पता है, लेकिन इस महाकाव्य से
जुड़े कुछ ऐसे भी रहस्य हैं, जिनके बारे में लोगों को पता नहीं है!
1. रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता है
गायत्री
मंत्र में 24 अक्षर होते हैं और वाल्मीकि रामायण में 24,000 श्लोक हैंl
रामायण के हर 1000 श्लोक के बाद आने वाले पहले अक्षर से गायत्री मंत्र बनता
हैl यह मंत्र इस पवित्र महाकाव्य का सार हैl गायत्री मंत्र को सर्वप्रथम
ऋग्वेद में उल्लिखित किया गया है!
2. राम और उनके भाइयों के अलावा राजा दशरथ एक पुत्री के भी पिता थे
श्रीराम
के माता-पिता एवं भाइयों के बारे में तो प्रायः सभी जानते हैं, लेकिन बहुत
कम लोगों को यह मालूम है कि राम की एक बहन भी थीं, जिनका नाम “शांता” थाl वे आयु में चारों भाईयों से काफी बड़ी थींl उनकी माता कौशल्या थींl ऐसी मान्यता है कि एक बार अंगदेश के राजा रोमपद और उनकी रानी वर्षिणी
अयोध्या आएl उनको कोई संतान नहीं थीl बातचीत के दौरान राजा दशरथ को जब यह
बात मालूम हुई तो उन्होंने कहा, मैं अपनी बेटी शांता आपको संतान के रूप में
दूंगाl यह सुनकर रोमपद और वर्षिणी बहुत खुश हुएl उन्होंने बहुत स्नेह से
उसका पालन-पोषण किया और माता-पिता के सभी कर्तव्य निभाएl
एक
दिन राजा रोमपद अपनी पुत्री से बातें कर रहे थे, उसी समय द्वार पर एक
ब्राह्मण आए और उन्होंने राजा से प्रार्थना की कि वर्षा के दिनों में वे
खेतों की जुताई में राज दरबार की ओर से मदद प्रदान करेंl राजा को यह सुनाई
नहीं दिया और वे पुत्री के साथ बातचीत करते रहेl द्वार पर आए नागरिक की
याचना न सुनने से ब्राह्मण को दुख हुआ और वे राजा रोमपद का राज्य छोड़कर चले
गएl वह ब्राह्मण इन्द्र के भक्त थेl अपने भक्त की ऐसी अनदेखी पर इन्द्र
देव राजा रोमपद पर क्रुद्ध हुए और उन्होंने उनके राज्य में पर्याप्त वर्षा
नहीं कीl इससे खेतों में खड़ी फसलें मुरझाने लगीl
इस संकट की घड़ी में राजा रोमपद ऋष्यशृंग ऋषि
के पास गए और उनसे उपाय पूछाl ऋषि ने बताया कि वे इन्द्रदेव को प्रसन्न
करने के लिए यज्ञ करेंl ऋषि ने यज्ञ किया और खेत-खलिहान पानी से भर गएl
इसके बाद ऋष्यशृंग ऋषि का विवाह शांता से हो गया और वे सुखपूर्वक रहने लगेl
बाद में ऋष्यशृंग ने ही दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञकरवाया
थाl जिस स्थान पर उन्होंने यह यज्ञ करवाया था, वह अयोध्या से लगभग 39
कि.मी. पूर्व में था और वहाँ आज भी उनका आश्रम है और उनकी तथा उनकी पत्नी
की समाधियाँ हैंl
3. राम विष्णु के अवतार हैं लेकिन उनके अन्य भाई किसके अवतार थे
राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है लेकिन आपको पता है कि उनके अन्य भाई किसके अवतार थे? लक्ष्मण को शेषनाग
का अवतार माना जाता है जो क्षीरसागर में भगवान विष्णु का आसन हैl जबकि भरत
और शत्रुघ्न को क्रमशः भगवान विष्णु द्वारा हाथों में धारण किए गए सुदर्शन-चक्र और शंख-शैल का अवतार माना जाता है
4. सीता स्वयंवर में प्रयुक्त भगवान शिव के धनुष का नाम
हम
में से अधिकांश लोगों को पता है कि राम का सीता से विवाह एक स्वयंवर के
माध्यम से हुआ थाl उस स्वंयवर के लिए भगवान शिव के धनुष का इस्तेमाल किया
गया था, जिस पर सभी राजकुमारों को प्रत्यंचा चढ़ाना थाl लेकिन बहुत कम लोगों
को पता होगा कि भगवान शिव के उस धनुष का नाम “पिनाक” था
5. लक्ष्मण को “गुदाकेश” के नाम से भी जाना जाता है
ऐसा
माना जाता है कि वनवास के 14 वर्षों के दौरान अपने भाई और भाभी की रक्षा
करने के उद्देश्य से लक्ष्मण कभी सोते नहीं थेl इसके कारण उन्हें “गुदाकेश”
के नाम से भी जाना जाता हैl वनवास की पहली रात को जब राम और सीता सो रहे
थे तो निद्रा देवी लक्ष्मण के सामने प्रकट हुईंl उस समय लक्ष्मण ने निद्रा
देवी से अनुरोध किया कि उन्हें ऐसा वरदान दें कि वनवास के 14 वर्षों के
दौरान उन्हें नींद ना आए और वह अपने प्रिय भाई और भाभी की रक्षा कर सकेl
निद्रा देवी इस बात पर प्रसन्न होकर बोली कि अगर कोई तुम्हारे बदले 14
वर्षों तक सोए तो तुम्हें यह वरदान प्राप्त हो सकता हैl इसके बाद लक्ष्मण
की सलाह पर निद्रा देवी लक्ष्मण की पत्नी और सीता की बहन “उर्मिला” के पास पहुंचीl उर्मिला ने लक्ष्मण के बदले सोना स्वीकार कर लिया और पूरे 14 वर्षों तक सोती रहीl
6. उस जंगल का नाम जहाँ राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के दौरान रूके थे
रामायण
महाकाव्य की कहानी के बारे में हम सभी जानते हैं कि राम और सीता, लक्ष्मण
के साथ 14 वर्षों के लिए वनवास गए थे और राक्षसों के राजा रावण को हराकर
वापस अपने राज्य लौटे थेl हम में से अधिकांश लोगों को पता है कि राम,
लक्ष्मण और सीता ने कई साल वन में बिताए थे, लेकिन कुछ ही लोगों को उस वन
के नाम की जानकारी होगीl उस वन का नाम दंडकारण्य था जिसमें राम, सीता और
लक्ष्मण ने अपना वनवास बिताया थाl यह वन लगभग 35,600 वर्ग मील में
फैला हुआ था जिसमें वर्तमान छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश
के कुछ हिस्से शामिल थेl उस समय यह वन सबसे भयंकर राक्षसों का घर माना जाता
थाl इसलिए इसका नाम दंडकारण्य था जहाँ “दंड” का अर्थ “सजा देना” और “अरण्य” का अर्थ “वन” है।
7. लक्ष्मण रेखा प्रकरण का वर्णन वाल्मीकि रामायण में नहीं है
पूरे रामायण की कहानी में सबसे पेचीदा प्रकरण लक्ष्मण रेखा
प्रकरण है, जिसमें लक्ष्मण वन में अपनी झोपड़ी के चारों ओर एक रेखा खींचते
हैंl जब सीता के अनुरोध पर राम हिरण को पकड़ने और मारने की कोशिश करते
हैं, तो वह हिरण राक्षस मारीच का रूप ले लेता हैl मरने के समय में
मारीच राम की आवाज में लक्ष्मण और सीता के लिए रोता हैl यह सुनकर सीता
लक्ष्मण से आग्रह करती है कि वह अपने भाई की मदद के लिए जाए क्योंकि ऐसा
प्रतीत होता है कि उनके भाई किसी मुसीबत में फंस गए हैंl
पहले
तो लक्ष्मण सीता को अकेले जंगल में छोड़कर जाने को राजी नहीं हुए लेकिन
बार-बार सीता द्वारा अनुरोध करने पर वह तैयार हो गएl इसके बाद लक्ष्मण ने
झोपड़ी के चारों ओर एक रेखा खींची और सीता से अनुरोध किया कि वह रेखा के
अन्दर ही रहे और यदि कोई बाहरी व्यक्ति इस रेखा को पार करने की कोशिश करेगा
तो वह जल कर भस्म हो जाएगाl इस प्रकरण के संबंध में अज्ञात तथ्य यह है कि
इस कहानी का वर्णन ना तो “वाल्मीकि रामायण” में है और ना ही “रामचरितमानस” में हैl लेकिन रामचरितमानस के लंका कांड में इस बात का उल्लेख रावण की पत्नी मंदोदरी द्वारा किया गया हैl
8. रावण एक उत्कृष्ट वीणा वादक था
रावण
सभी राक्षसों का राजा थाl बचपन में वह सभी लोगों से डरता था क्योंकि उसके
दस सिर थेl भगवान शिव के प्रति उसकी दृढ़ आस्था थीl इस बात की पुख्ता
जानकारी है कि रावण एक बहुत बड़ा विद्वान था और उसने वेदों का अध्ययन किया
थाl लेकिन क्या आपको पता है कि रावण के ध्वज में प्रतीक के रूप में वीणा
होने का कारण क्या था? चूंकि रावण एक उत्कृष्ट वीणा वादक था जिसके कारण
उसके ध्वज में प्रतीक के रूप में वीणा अंकित थाl हालांकि रावण इस कला को
ज्यादा तवज्जो नहीं देता था लेकिन उसे यह यंत्र बजाना पसन्द थाl
9. इन्द्र के ईर्ष्यालु होने के कारण “कुम्भकर्ण” को सोने का वरदान प्राप्त हुआ था
रामायण में एक दिलचस्प कहानी हमेशा सोने वाले “कुम्भकर्ण” की हैl कुम्भकर्ण, रावण
का छोटा भाई था, जिसका शरीर बहुत ही विकराल थाl इसके अलावा वह पेटू (बहुत
अधिक खाने वाला) भी थाl रामायण में वर्णित है कि कुम्भकर्ण लगातार छह महीनों तक सोता रहता था और फिर सिर्फ एक दिन खाने के लिए उठता था और पुनः छह महीनों तक सोता रहता थाl
लेकिन क्या आपको पता है कि कुम्भकर्ण को सोने की आदत कैसे लगी थीl एक बार एक यज्ञ की समाप्ति पर प्रजापति ब्रह्मा
कुन्भकर्ण के सामने प्रकट हुए और उन्होंने कुम्भकर्ण से वरदान मांगने को
कहाl इन्द्र को इस बात से डर लगा कि कहीं कुम्भकर्ण वरदान में इन्द्रासन न
मांग ले, अतः उन्होंने देवी सरस्वती से अनुरोध किया कि वह कुम्भकर्ण की
जिह्वा पर बैठ जाएं जिससे वह “इन्द्रासन” के बदले “निद्रासन” मांग लेl इस प्रकार इन्द्र की ईर्ष्या की वजह से कुम्भकर्ण को सोने का वरदान प्राप्त हुआ थाl
10. नासा के अनुसार “रामायण” की कहानी और “आदम का पुल” एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं
रामायण
की कहानी के अंतिम चरण में वर्णित है कि राम और लक्ष्मण ने वानर सेना की
मदद से लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए एक पुल का निर्माण किया थाl ऐसा
माना जाता है कि यह कहानी लगभग 1,750,000 साल पहले की हैl हाल ही
में नासा ने पाक जलडमरूमध्य में श्रीलंका और भारत को जोड़ने वाले एक मानव
निर्मित प्राचीन पुल की खोज की है और शोधकर्ताओं और पुरातत्वविदों के
अनुसार इस पुल के निर्माण की अवधि रामायण महाकाव्य में वर्णित पुल के
निर्माणकाल से मिलती हैl नासा के उपग्रहों द्वारा खोजे गए इस पुल को “आदम का पुल” कहा जाता है और इसकी लम्बाई लगभग 30 किलोमीटर हैl
11. रावण को पता था कि वह राम के हाथों मारा जाएगा
रामायण
की पूरी कहानी पढ़ने के बाद हमें पता चलता है कि रावण एक क्रूर और सबसे
विकराल राक्षस था, जिससे सभी लोग घृणा करते थेl जब रावण के भाइयों ने सीता
के अपहरण की वजह से राम के हमले के बारे में सुना तो अपने भाई को
आत्मसमर्पण करने की सलाह दी थीl यह सुनकर रावण ने आत्मसमर्पण करने से इनकार
कर दिया और राम के हाथों मरकर मोक्ष पाने की इच्छा प्रकट कीl उसके कहा कि
"अगर राम और लक्ष्मण दो सामान्य इंसान हैं, तो सीता मेरे पास ही रहेगी
क्योंकि मैं आसानी से उन दोनों को परास्त कर दूंगा और यदि वे देवता हैं तो
मैं उन दोनों के हाथों मरकर मोक्ष प्राप्त करूँगाl
12. आखिर क्यों राम ने लक्ष्मण को मृत्युदंड दिया
रामायण
में वर्णित है कि श्री राम ने न चाहते हुए भी जान से प्यारे अपने छोटे भाई
लक्ष्मण को मृत्युदंड दिया थाl आखिर क्यों भगवान राम ने लक्ष्मण को
मृत्युदंड दिया था? यह घटना उस वक़्त की है जब श्री राम लंका विजय के बाद
अयोध्या लौट आये थे और अयोध्या के राजा बन गए थेl एक दिन यम देवता
कोई महत्तवपूर्ण चर्चा करने के लिए श्री राम के पास आते हैंl चर्चा
प्रारम्भ करने से पूर्व उन्होंने भगवान राम से कहा की आप मुझे वचन दें कि
जब तक मेरे और आपके बीच वार्तालाप होगी हमारे बीच कोई नहीं आएगा और जो
आएगा, उसे आप मृत्युदंड देंगेंl इसके बाद राम, लक्ष्मण को यह कहते हुए
द्वारपाल नियुक्त कर देते हैं कि जब तक उनकी और यम की बात हो रही है वो
किसी को भी अंदर न आने दे, अन्यथा वह उसे मृत्युदंड दे देंगेl
लक्ष्मण भाई की आज्ञा मानकर द्वारपाल बनकर खड़े हो जाते हैंl लक्ष्मण को द्वारपाल बने कुछ ही समय बीतने के बाद वहां पर ऋषि दुर्वासा
का आगमन होता हैl जब दुर्वासा ने लक्ष्मण से अपने आगमन के बारे में राम को
जानकारी देने के लिये कहा तो लक्ष्मण ने विनम्रता के साथ मना कर दियाl इस
पर दुर्वासा क्रोधित हो गये तथा उन्होने सम्पूर्ण अयोध्या को श्राप देने की
बात कहीl लक्ष्मण ने शीघ्र ही यह निश्चय कर लिया कि उनको स्वयं का बलिदान
देना होगा ताकि वो नगरवासियों को ऋषि के श्राप से बचा सकें और उन्होने भीतर
जाकर ऋषि दुर्वासा के आगमन की सूचना दीl
अब
श्री राम दुविधा में पड़ गए क्योंकि उन्हें अपने वचन के अनुसार लक्ष्मण को
मृत्युदंड देना थाl इस दुविधा की स्थिति में श्री राम ने अपने गुरू वशिष्ठ
का स्मरण किया और कोई रास्ता दिखाने को कहाl गुरूदेव ने कहा कि अपनी किसी
प्रिय वस्तु का त्याग, उसकी मृत्यु के समान ही हैl अतः तुम अपने वचन का
पालन करने के लिए लक्ष्मण का त्याग कर दोl लेकिन जैसे ही लक्ष्मण ने यह
सुना तो उन्होंने राम से कहा की आप भूल कर भी मेरा त्याग नहीं करना, आप से
दूर रहने से तो यह अच्छा है की मैं आपके वचन का पालन करते हुए मृत्यु को
गले लगा लूँl ऐसा कहकर लक्ष्मण ने जल समाधि ले लीl
13. राम ने सरयू नदी में डूबकी लगाकर पृथ्वीलोक का परित्याग किया था
ऐसा
माना जाता है कि जब सीता ने पृथ्वी के अन्दर समाहित होकर अपने शरीर का
परित्याग कर दिया तो उसके बाद राम ने सरयू नदी में जल समाधि लेकर पृथ्वीलोक
का परित्याग किया था|
Comments
Post a Comment